Thursday, December 15, 2016

ठेस




बेटे भी आजकल विदा ही हो जाते हैं।

दे कर माँ बाप को एक कागज़ का टुकड़ा, जिस पर लिखा होता है एक फोन नंबर।
जल्दी जल्दी घर आने की एक दिलासा।
और सेट होते ही अपने पास बुला लेने की एक आशा।

वो कमरा अब अक्सर खाली ही रहता है, बस दीवारों पर चिपके तेंदुलकर और ब्रूस ली आपस में बतिया लेते हैं कभी।

हिन्दी और इंग्लिश गानों की कैसेट्स जिनसे  चिढ़ कर माँ फेंक देने की धमकी देती थीं आज भी बाकायदा रोज़ साफ़ होती हैं कपड़े से।

स्टोर रूम में सालों से रखे हैं अब भी
एक बैट और दो रैकेट।
छत के टीन शेड में वो ज़ंग लगी साइकिल भी जिसकी चेन ना जाने कितनी बार पिताजी ने चढाई थी।

आँगन में वो पुरानी बाइक आज भी एक पुरानी चादर से ढकी है जिसे ज़िद ज़िरह करके कितनी दफा मैकेनिक के पास भेजा गया था मॉडिफाइड करने।

डम्बल और लकड़ी की बेंच आज भी माँ ने कबाड़ी को नहीं बेचे।
और
छत के कड़े से चेन बाँध कर कसरत करने का जुगाड़ जो अब घड़ी के पेंडुलम सा हिलता रहता है,
शायद समय को आगे नहीं पीछे और पीछे अतीत में ले जाता है रोज़, हर रोज़।
................बेटे भी तो विदा हो ही जाते हैं आजकल.......
(साभार)

Wednesday, December 14, 2016

Body




Dil se padiye ga.          

जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है।
अरे
"बॉडी" लेकर आइये,
"बॉडी" को उठाइये,
"बॉडी" को सुलाइये
ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते ,
जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।

इसीलिए निर्मिती" को नही
निर्माता" को  प्रभावित करने के लिये जीवन जियो।

जीवन में आने वाली हर चूनौती को स्वीकार  करें।......
अपनी पसंद की चीजों के लिये खर्चा कीजिये।......
इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।....

आप कितना भी बूरा नाचते हो ,
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस कीजिये।......
फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दीजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जाइये ।

क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।
लॉस तो वो है
के जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चुकी है।.....

हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।
"जिंदगी है छोटी,पर" हर पल में खुश हूँ "काम में खुश हूं,"आराम में खुश हूँ ,

"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,

"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,

"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,

"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,

"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,

अगर दिल को छुआ, तो फारवर्ड करना,
वरना बिना आगे गई पोस्ट पर भी खुश् हुँ।।
😀😀😀😀😀😀😀
🙏🌹🌹🙏
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Sunday, July 17, 2016

Gareeb kyo hoo...

🕉🕉  एक गरीब आदमी ने भगवान महावीर से पूछा : “मैं इतना गरीब क्यों हूँ?”,
              भगवान महावीर ने कहा :” *तुम गरीब हो क्योंकि तुमने देना नहीं सीखा* ” !
                 गरीब आदमी ने कहा :
             “परन्तु मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है”।भगवान महावीर ने कहा :
                  “तुम्हारा चेहरा: एक *मुस्कान दे सकता* है. तुम्हारा *मुँह: किसी की प्रशंसा कर सकता*  है                        या     दूसरों को *सुकून* पहुंचाने के लिए *दो मीठे बोल बोल सकता है* , तुम्हारे *हाथ* : किसी *ज़रूरतमंद की सहायता कर सकते हैं* . . .और तुम कहते हो तुम्हारे पास देने के लिए कुछ भी नहीं ? !!
*पाने का हक उसी को है . .
जो देना जानता है*   ….!
🙏🏻💐

Wednesday, June 29, 2016

Happy mandi


मंदी में पति की लिखी इक 
कवीता अपनी पत्नी को ।

प्रिय क्यूँ तुम नए-नए 
सूट सिलाती हो !

पुरानी साडी में भी तुम 
अप्सरा सी नजर आती हो !!!

इन ब्यूटी पार्लरों के 
चक्करों में ना पडा करो !

अपने चांद से चेहरे को 
क्रीम पाउडर से यूँ ना ढका करो !!

रेस्टोरेंट होटल के खाने में क्या रखा है !
तुम्हारे हाथों से बना घर का खाना, 
इनसे लाख गुना अच्छा है !!!

इन सैर सपाटों में वो बात कहाँ !
तुम्हारे मायके जैसा 
ऐशो-आराम कहाँ !!!

नौकरों से खिटपिट में, 
मत सेहत तुम अपनी खराब करो !

झाडू-पौछा लगा 
हल्का सा व्यायाम करो !!!

सोने-चांदी में मिलती 
अब सो सो खोट है !

तुम्हारी सुन्दरता ही 
24 कैरेट प्योर गोल्ड है !!!

माया-माया मत किया कर पगली, 
यह तो महा ठगिनी है !

मेरे इस घर-आंगन की तो, 
तू ही असली धन लक्ष्मी है !!

        *हैप्पी मंदी*
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Friday, June 3, 2016

एक सत्य

भारत का एक परम सत्य:
पैसा नहीं होने के कारण पढाई छोड़ने वाले बहुत मिल जायेंगे,

लेकिन पैसा नहीं होने के कारण दारू, जुआ, गांजा, गुटखा, तम्बाकू छोड़ने वाला आज तक कोई नहीं मिला।

Friday, January 8, 2016

Sanskar

एक वकील साहब ने अपने बेटे का रिश्ता तय किया।

कुछ दिनों बाद, वकील साहब होने वाले समधी के घर गए तो देखा कि होने वाली समधन खाना बना रही थीं।
सभी बच्चे और होने वाली बहु टी वी देख रहे थे। वकील साहब ने चाय पी, कुशल जाना और चले आये।

एक माह बाद, वकील साहब समधी जी के घर, फिर गए। देखा, समधन जी झाड़ू लगा रहीं थी, बच्चे पढ़ रहे थे और होने वाली बहु सो रही थी। वकील साहब ने खाना खाया और चले आये।

कुछ दिन बाद, वकील साहब किसी काम से फिर होने वाले समधी जी के घर गए !! घर में जाकर देखा, होने वाली समधन बर्तन साफ़ कर रही थी, बच्चे टीवी देख रहे थे और होने वाली बहु खुद के हाथों में नेलपेंट लगा रही थी।

वकील साहब ने घर आकर, गहन सोच-विचार कर लड़की वालों के यहाँ खबर पहुचाई, कि हमें ये रिश्ता मंजूर नहीं है"

...कारण पूछने पर वकील साहब ने कहा कि, "मैं होने वाले समधी के घर तीन बार गया !!

तीनों बार, सिर्फ समधन जी ही घर के काम काज में व्यस्त दिखीं। एक भी बार भी मुझे होने वाली बहु घर का काम काज करते हुए नहीं दिखी। जो बेटी अपने सगी माँ को हर समय काम में व्यस्त पा कर भी उन की मदद करने का न सोचे, उम्र दराज माँ से कम उम्र की, जवान हो कर भी स्वयं की माँ का हाथ बटाने का जज्बा न रखे,,, वो किसी और की माँ और किसी अपरिचित परिवार के बारे में क्या सोचेगी।

"मुझे अपने बेटे के लिए एक बहु की आवश्यकता है, किसी गुलदस्ते की नहीं, जो किसी फ्लावर पाटॅ में सजाया जाये !!

👉इसलिये सभी माता-पिता को चाहिये, कि वे इन छोटी छोटी बातों पर अवश्य ध्यान देंवे।

🌹बेटी कितनी भी प्यारी क्यों न हो, उससे घर का काम काज अवश्य कराना चाहिए।

🌹समय-समय पर डांटना भी चाहिए, जिससे ससुराल में ज्यादा काम पड़ने या डांट पड़ने पर उसके द्वारा गलत करने की कोशिश ना की जाये।

🌹हमारे घर बेटी पैदा होती है, हमारी जिम्मेदारी, बेटी से "बहु", बनाने की है।

🌹अगर हमने, अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से नहीं निभाई, बेटी में बहु के संस्कार नहीं डाले तो इसकी सज़ा, बेटी को तो मिलती है और माँ बाप को मिलती हैं, "जिन्दगी भर गालियाँ"।

🌹हर किसी को सुन्दर, सुशील बहु चाहिए। लेकिन भाइयो, जब हम अपनी बेटियों में, एक अच्छी बहु के संस्कार, डालेंगे तभी तो हमें संस्कारित बहु मिलेगी? ?

👉ये कड़वा सच, शायद कुछ लोग न बर्दाश्त कर पाएं ....लेकिन पढ़ें और समझें, बस इतनी इलतिजा..

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